उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र | Entrepreneurship ecosystem

जब भी उद्यमिता के बारे में बात करते है तो लोग कहते है कि माहौल नहीं है। आज हम बात करेंगे कि माहौल क्या होता है, इसको हम टेक्नीकली कहते है एन्टरप्रोनीयोल इको सिस्टम । सबसे पहले अभी तक जो हम बात कर रहे थे एक उद्यमी के बारे में बात, उसके ट्रेड के बारे में बात कर रहे थे.

 एक पोटेनशियल बिजनेश आइडिया के बारे में बात किया इन सब के बाद अभी तक आप अकेले थे हो सकता है आपके साथ आपके परिवार के लोग जिनके साथ आपने इसका डिसकशन किया हो। 

पर एक बार जब आप प्रोसेस में आते है तो आपको बहुत लोगो के साथ जुड़ना होगा, बहुत सारे लोगो के साथ काम करना होगा जिसको हमलोग नेटवर्क कहते है जिसे हम एन्टरप्रोनीयोल इको सिस्टम कहते है।


 यदि हम इको सिस्टम के बारे में बात करें तो सबसे पहले आप एक सेन्ट्रल प्वांइट है उसके बाद ग्राहक जिसको आप सामान बेचेंगे उससे आपको जुड़ना है, उसके व्यवहार को समझना है और दूसरी ओर इनपुट जहाँ से आप रॉ मेटेरियल ले रहे है उनसे जुड़ना है। जब आप बिजनेश शुरू करते हैं तो आपको अपनी फैमिली, अपनी सोसाइटी से सामना करना पड़ता है । 

जो मारवाड़ी लोग है उनके यहाँ बिजनेश का एक अलग कल्चर होता है, तो यह कल्चर को आप डेवलप कर सकते है ? उत्तरी राज्यों में जहाँ हिन्दी बोली जाती है वहाँ बिजनेश कल्चर को बहुत अधिक प्रोत्साहित नहीं करते है। इन स्टार्ट अप को आगे बढ़ाने में मीडिया का भी रोल रहा है, 

पिछले कुछ सालों में हम देखेंगे कि सिर्फ उद्यमी की चर्चा हुई है। क्या सामाजिक स्तर पर ऐसे माहौल है कि जो करना हो करो अगर नही तो हम इसपर आगे चर्चा करेंगे।

 कैसे इस माहौल को बनाया जाय। दूसरी ओर जब आप उद्यमिता की ओर बढ़ते है और अपने गाँव से आगे बढ़ते है क्योंकि वहाँ आपके पास जमीन है तो वहाँ दिक्कत कनेक्टीविटी की होती है। जहाँ आप उद्यम शुरू करना चाहते है 

वहाँ सड़क कनेक्टीविटी है या नहीं, वहाँ बिजली है कि नहीं, अगर आप कम्पनी शुरू करते है तो सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आप कितने टेलेन्टेड लोग रखते है, जब टेलेन्टेड लोग आपकी संस्था में रहेंगे आपके साथ रहेंगे तो उनके बच्चों को


पढ़ने के लिए अच्छे स्कूल है या नहीं, वहाँ स्वास्थ्य सुविधा है कि नहीं इसको आप कैसे डेवलप कर पायेंगे। दूसरी ओर सरकार की नीतियों है और उनसे बहुत सारी संस्थाएँ जुडी हुई है। दूसरी ओर आपके साथ बहुत सारी सर्बसडी होती है मुद्रा योजना के तहत भी उद्यम स्थापित करने हेतु बैंक द्वारा लोन प्रदान किया जाता है। 

संस्थाओं के द्वारा भी आपको मदद मिलेगी परन्तु मुद्दा है कि आप कितने इफीसियेन्ट है। बिजनेश में एक मुख्य बात होती है वह है पूँजी की। उद्यम करने हेतु पूँजी आपके पास है कि नहीं, ऐंजल इन्वेस्टर आपके बाजार में इनवेस्ट करना चाहते है कि नहीं, उसके बाद स्किलड ह्यूमन रिसोर्स आपको कहाँ से मिलेगा यहाँ पर एजुकेशन सिस्टम भी जुड़ा हुआ है, 

विश्वविद्यालय भी जुड़ा हुआ है इसके बाद टेलेन्ट हन्ट आपके साथ है कि नहीं, इन सब के अलावा बाजार एक मुख्य भाग है क्योकि यही आपको अपनी एक्टीविटी को फलीभूत करना है। आपको यह पता लगाना होगा कि अभी कौन से कौन से ट्रेंड चल रहे है, आपके संबंध उनके साथ कैसे हैं। अगर हम कृषि क्षेत्र की बात करे तो यहाँ पर एकल उद्यमी तो सामने आते है पर नेटवर्किंगके रूप में सामने नहीं आते हैं।

 पिछले कुछ दिनो में एफ.पी.ओ. की चर्चा हुई है जिसमें कही न कही बहुत सारे लोग मिलकर एक कम्पनी का निर्माण करते है इसमें मुद्दा यह है कि कम्पनी बनने के बाद जो मुनाफा हो रहा है उसे आपसे में कैसे शेयर किया जा रहा है। इसमें फारमर्स क्लब भी बनाये जा रहे है। बहुत सारे लोग एस.एच.जी. भी बना रहे है। बेहतर इको सिस्टम से हमारे स्टार्ट अप बहुत दूर तक जा सकते है।