Ecoventure case study

बढ़ते शहरीकरण के कारण प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या है और इसी के समाधान को लेकर श्री राहुल जी हैं हमारे साथ जिन्होनें ईंकोवेन्चर नाम की एक कंपनी बनायी है। आज इनसे जानते हैं कि इनकी उद्यम यात्रा कैसी रही है।

राहुल जी सबसे पहले आप हमें अपने बिजनेस आईडिया के बारे में बताईये?

हमारे स्टार्टअप का नाम "ईकोवेन्चर है। ईकोवन्चर मुख्यतः ग्रीनरी को प्रोत्साहित कर रहा है हमारी कम्पनी का मुख्य विजन हवा की गुणवत्ता को सुधारने का काम करना है। ईकोवेन्चर का मुख्य काम शहरों की एयर क्वालिटी इन्डेक्स को मापकर उन्हें सुधारना है। हमारा मुख्य उद्देश्य बेहतर स्वास्थ्य, बेहतर खान-पान एवं बेहतर हवा को ध्यान में रखते हुए हमने अपना कार्य शुरु किया है।

आपका बिजनेस मॉडल क्या है?

एक स्टार्टअप की उद्यम यात्रा जोखिम भरी होती है। जब आप काम करते हैं तब आप समझते हैं कि

आप जो कर रहे हैं उसके अलावा और भी कई चीजें की जा सकती है। हमने बिजनेस आईडिया की शुरुआत ईकोफ्रेंडली गिफ्ट पैक से शुरु किया था हमारे देश में बहुत सारे त्योहार एवं उत्सव इत्यादि मनाये जाते हैं। हमने इन सभी के लिए अलग-अलग पौधों का चयन किया 

जिनको हम गिफ्ट के रूप में दे सकते हैं। इनकी बिक्री हमने ई प्लेटफार्म से शुरू की थी। हमने विभिन्न अवसरों पर दिये जाने वाले पुष्प गुच्छों के बदले इन प्लान्ट्स को देने की प्रथा को प्रयलित करने की कोशिश की है।

आपके बिजनेस पोर्टफोलियो में कौन-कौन से उत्पाद एवं सेवाएँ है?

शुरुआती दिनों में गिफ्ट बेचने से शुरु किया। धीरे-धीरे बाजार में बड़ा प्रभाव बनाने हेतु हमनें बहुत सारे बदलाव किये। हमने पौधों को वर्टिकल गार्डेनिंग के रुप में बेचना शुरु किया। यह उद्यम पटना जैसे शहर में अभी शिशु अवस्था में है जिसको हमने बड़े ही अलग ढंग से शुरु किया। जैसा कि मैने पहले भी कहा है कि हमारा मुख्य उद्देश्य प्रदूषण प्रबंधन पर कार्य करना है। जैसा कि हम जानते है कि शहरी इलाकों में जगह की बहुत कमी होती है इसलिए वर्टिकल गार्डेनिंग के सेटअप को कम जगह पर भी लगाया जा सकता है।

वर्टिकल गार्डेनिंग के अलावे और कौन-कौन कार्य आपके उद्यम संस्था द्वारा किया जाता है?

हमारे उद्यम संस्था का मूल उद्देश्य बदलते वक्त के साथ हो रहे विकास कार्यों के कारण लोगों एवं प्रकृति के बीच जो दूरियाँ आ रही है उन दूरियों को अपने नवीन सोच कौशल से कम करना है

क्योंकि हमारे अनुसार मानव और प्रकृति कहीं न कहीं आपस में जुडे हुए हैं। इसके अलावे हमलोग लैंडस्केपिंग एवं टैरिसगार्डेन इत्यादि भी विकसित करते है। वर्टिकल गार्डेनिंग में भी ऐयर प्यूरीफायर (वायु शोधक) के लिए हमारा एक अलग सेटअप है। वर्तमान में लोग जिस भी कंपनी का ऐयर प्यूरीफायर इस्तेमाल करते हैं वो ऐयर प्यूरीफायर कुछ न कुछ कार्बनिक गैस तो उत्सर्जित करती ही हैं।

 इस तरह अभी बाजार में पूर्ण रुप से कोई भी कार्बनिक गैस उत्सर्जित नहीं करने वाला उत्पाद मौजूद नहीं है। लेकिन नासा के कथन के अनुसार हमारी पृथ्वी पर कुछ इस तरह के पौधे भी है जो किसी भी प्रकार का कार्बनिक गैस का उत्सर्जन नहीं करते हुए 24 घंटे पूर्णतः केवल ऑक्सीजन गैस का उत्सर्जन करते हैं। हम इन्हीं पौधों का चयन करते हैं तथा उस संबंधित ऐरिया का चयन कर हम यह देखते हैं कि ऐसे कितने पौधों को लगाने पर उरा संबंधित ऐरिया में हम ऐयर क्वालिटि को सुधार राकते है।

आपकी भविष्य के लिए क्या-क्या योजनाएँ है?

वर्तमान में हम अपनी सेवाएँ भारत के टीयर 2 शहरों में प्रदान कर रहे है। इस क्रम में हमने पटना में अपनी सेवा की शुरुआत की है साथ ही गया में हम आई.आई.एम. के साथ एक प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहे हैं। प्रोजेक्ट के अलावा भविष्य के लिए हमारी योजना है कि शहर में जो भी ब्रिजेस हैं उन पर हमारे सेटअपस् इन्सटॉल किए जाएँ और साथ ही इसकी गुणवत्ता पर हमें अभी और भी काम करना है।

क्या आप अपने उत्पादों का घर पर उत्पादन करते हैं या फिर आपने अपने उत्पादों की प्राप्ति हेतु एक अलग नेटवर्किंग बना रखा है?

असल में बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो एक जगह पर नहीं की जा सकती हैं। जैसे एक पौधे की कई प्रजातियाँ हो सकती हैं और गुणवत्ता के मामले पर हम समझौता नहीं कर सकते हैं। क्योंकि हमारा काम केवल प्लान्ट इन्सटॉलेसन तक सीमित नहीं है हमें आ्किटेक्चरल पार्टस को भी ध्यान में रखा है जिसमें सौन्दर्यता प्रमुख है। इसलिए वेराईटीस की वजह से कुछ पौधों की प्राप्ति हमें बाहर से भी करनी पड़ती है जिसके लिए हमारे पास सप्लायर का एक नेटवर्क भी है और साथ ही बहुत सारी चीजें हम इन हाउस भी उत्पादित कर रहे है ।

आप अपने बुनियादी शिक्षा या शैक्षणिक पृष्ठभूमि के बारे में बताएँ?

मैंने अलीगढ़ विश्वविद्यालय से बिजनेस मैनेजमेंट के क्षेत्र में स्नातक की उपाधि हासिल की है।

क्या आपको इन पौधों तथा इनके आर्किटेक्चरिंग या डिजायनिंग इत्यादि के बारे में पहले से कुछ समझ थी?

मेरे हिसाब से आप जैसे परिवेश में रहते हैं उसके हिसाब से आपकी समझ बढ़ती है। इसलिए कहीं न कहीं मैंने बिजनेस का कोर्स जरूर किया था लेकिन उसमें हमने कभी नहीं सोचा था कि हम प्लान्टस आर्किटेक्चराइजेसन में आ जाएँगें। लेकिन इसके बाद हमें पता चला कि कैसे हमें अपनी परिस्थिति का फायदा उठाना है। इनके अलावे भी हमने कई ऑनलाईन कोर्सेज कर रखे थे। साथ

ही मैं यह भी कहना चाहूँगा कि आजकल के दौर में हमें केवल कॉलेज की पढ़ाई पर ही निर्भर नहीं होना चाहिए बल्कि बदलते वक्त के साथ इंटरनेट पर उपलब्ध कई सारी जानकारियों को इक्ट्ठा करके हम अपनी रुची के हिसाब से कुछ भी बेहतर कर सकते हैं।

राहुल जी की कहानी सुनने के बाद हमारे लिए क्या सीखने वाली बात हो सकती है:

उन्होनें नवीनतम उत्पाद बनाये।

  •  अपने उत्पाद के साथ भावनाओं को समायोजित करने का भी प्रयास किया।
  • उन्हें विभिन्न अवसरों के लिए विभिन्न मौसमों में उगाये जाने वाले पौधों का पोर्टफोलियों तैयार किया जिसको कि गिफ्ट के रूप में दिया जा सके।
  • अपने उत्पाद को घर-घर जाकर बेचना शुरु किया।
  • उन्होंने अपना एक नेटवर्क बनाया।
  • इसके अलावा राहुल जी ने कहा कि यह जरुरी नहीं कि आपने जो पढ़ाई की है उसका उपयोग आपके बिजनेस में हो आपको कहीं न कहीं प्रैक्टिकल एक्सपिरियंस की आवश्यकता होगी।

धन्यवाद।