सतूज की सफलता | Success of satuj case study

हम लोगों ने पहले  उद्यमिता, स्वार्टअप एवं बिजनेस आइडिया आदि के बारे में डिस्कशन किया। हमने आपको कहा था कि हम द्वितीय एवं तृतीय राप्ताह में कुछ ऐसे स्टार्टअप जिन्होनें बहुत ही इनोवेटिव काम शुरू किया है उनके बारे में डिस्कशन करेंगे। 

कैसे बिकर के सतू को यायुवान प्राइम ट्रेन जैसे की राजधानी एवं शताब्दी एक जिन्होंने सफर तय कराने के लिए नाशा है यह इमार एक बहुत ही सफलतनु स्टार्टअप है। 

सधिन जो उनसे इन लोग बात करेंगे। बात-चीत करने से पहले मैं आपको बताना चाहता हूँ कि सविन जी ने आई-आई.जी.एम. से एमबीए करने के पश्चात एक अच्छी कंपनी में प्लेसमेंट होने के बावजूद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और लौटकर बिहार आ गए।
इत्त सोश के साथ कि हम दूसरे को कंपनी में कान करेंगे. जो दूसरे स्टेट की एक कांपनी है गों ना हम विहार की गई कंपनी बनाएँ। जिसमें यह निया हो "मेक इन विहार इस सोच के साथ यह मधुबनी लौट आए और उन्होंने बहुत ही इनोवेटिव प्रोडक्ट को कुल्आत की है "रातूज"। आज हम उनसे बात करेंगे।


सचिन जी, सबसे पहले आप यह बताइए कि इस उद्यम को आपने कैसे शुरू किया ?


शुरुआत एक निर्णय के साथ शुरू हुयी थी जब हम पाई कर रहे थे। मैं आई-आई-मी-एम- से एग-पीए- कर रहा था और मेरा 2006 से 2009 का मैथ था। जब प्रोफेसर पाते थे तो तबकी बाते सुनता था और माई करता था भी निर्णय लिया कि नौकरी नहीं करना है कुछ नया करना है और बिहार जाकर करना है। क्योंकि पतकर साप बाहर तो जा सकते है, बड़ी कंपनी में जॉब कर सकते है आगे निकल जाएंगे। लेकिन जो आपने पढ़ाई की है उसको आप अपने गाव में अपने घर में कैसे उपयोग करेंगे। तब कुछ करने में गता है। 

उत्ती सोच को लेकर मैं जान छोड़कर बिहार वापस आया। बिहार आने मो भाद लगा यहाँ कि किसी प्रकार का स्टार्टअप शुरू करने का लोई इकोसिस्टम तो है ही नहीं। परन्तु सोमा जब कोई कोसिस्टम नहीं है तो बनाने में अयादा मजा है। तो हम लोगों ने इस स्टार्टअप की शुरुआत किया। मुझसे 10 से 15 साल छोटे पुवकों हमने प्रेरित करना शुरू किया। जो आम लोग पढ रहे हो तीक है, अशी यारा है लेकिन जाय के लिए नहीं पदो। 

पर कुछ भी आपने पढ़ाई किया उसी से शुरुआत करो। आप विश्वास नहीं करेंगे मुझसे 10 रो 15 साल छोटे लड़कों ने कोइन्वेस्ट किया पात्तुज में। अब यह बांध बना तो अकेले नहीं चना मेरे साथ टीग मेम्बररा मिले उन्होंने पैरा लगाया। विश्वास नहीं करेंगे, लोग आए और किसी ने 20 हजार 30 हजार, हजार रुपये दिये और कहा कि जो आप बोल रहे है म8 बहुत सही है। शमलोगों का मी जुनून है कि बिहार के लिए करना है। तो हमलोगों में इसपर मैं इस बिहार लिखा "सावा


मस इन बिहार" इस चीज के लिए हमने महनत किया।


सचिन जी, आपने कैसे एक नेटवर्क विकसित करने की कोशिश की और "सत्तूज" को कब शुरू किया?


सत्तूज की शुरूत हमने 14 अप्रैल, 2018 को हमारे यहाँ एक सत्तुवानी पर्व होता है उस दिन का पहला मजूज का कहने लीच किया। यह हमने प्लान ही किया था कि यह एक ट्रेवल कम्बोपैक प्रोटोटाइप होगा जियाको हमलोग लोगों को बताएंगे कि रात्तू में भी मिन्नता लाई जा सकती है। 

जो सतू आम लोग वर्षों से खाने के उपयोग में ला रहे है उसको एक हेल्दी एनर्जी डिंक कैसे पिया जाय। हमने इराके लिए ऐडीम रौज बनाएं, अलग-अलग एलेवरा जैरो कि जलजीरा फ्लवर, रवीट फलेवर, चाकलैट फलेयर इुल्यादि। तोगो को हमने कप सैघेज, सून एक साथ यॉक्स में दिया ताकि आप कभी भी कही मी सुरंत आप मानी मिलाकर सातू पी सकते है।


वो कौन सी एक चुनौती है जिसका आपको स्टार्टअप के रूप में सामना करना पढ़ रहा है?


एक स्टार्टअप के रूप में लोगों के बीच विश्वास पैदा करना कि हाँ हम सही काम कर रहे हैं। इन्वेस्टर के बीच में (प्रश्न) इन्वेस्टर के बीच में उसके अतिरिक्त पूरे सिस्टम में विश्वास पापित करने की आवश्यकता पाती है जैसे कि हम बात करे कि किसी रिटेलर के पास या डिस्ट्रीब्यूटर के पास जा रहा है. जो पहले से कोक, पेप्सी बहुत सारी चीजें पहले से बेच रहा है। फुरगुरे बेच रहा है, पीप्त पेशा रहा है उसके अलावा बहुत सारी चीजे बेच रहा है पर अब हम उनसे यह कहते है कि आप हमारे सराज को यैचिए। 

तो उनकी मांग होती है कि हम उन्हें बताए इसकी रोल करा आएगी। एक इकोसिस्टग में स्टार्टअप को लाने एवं प्रौत्ाहित करने के लिए दूरारे लोगों में एक सोच जानी चाहिए कि यह अपने देश का प्रोडक्ट या अपने बिहार प्रोडगा है गा हेल्दी प्रोडक्ट है इन लग चीजों पर ২ा्टप को परेी आती है। सक लिए टीम की ज पत है, आपके पास सही टीम है, सी इनस्टरस है, सही नेट है, तो 1 आपको यह सारी पीजें गदद करती है।


आपको क्यों लगता है कि सतूज बिकेगा?


आप खुद अपने जीवन में देखिए 24 घंटे में हम लोग क्या खाते हैं। सुबह उठते हैं सबसे पहले चाय लेते हैं, चाय में निकोटिन होती है. तो आप प्रत्येक दिन नियोटिन की मात्रा को ले रहे है। एनर्जी के लिए. नींव भगाने के लिए इन सब चीजों लिए। जा आप सू पीयेंगे तो आपको तुरंत एनर्जी मिलेनी आप और हम कई सालों से चोर्नविटा, हरिलिगम, कॉम्प्लान, मनूकोंडी क्या-क्या पी रहे हैं।

 लेकिन सबसे स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद रात को नहीं पी रहे है। तो क्यों न सत्तू को इतना आसान बना दिया जाए कि लोग कभी भी, कहीं भी की सकती है। और उसके स्वाद के अनुसार उत्पाद को एक ही टेस्ट न हो अलग-अलग रयाय मिले लोगों को तो लोग जरूर इसे पियेंगे। पारले उनी पाम विकल्प नहीं है। हम विकल्प को जमलोग अपलमा करा रहे है। आपका काफी हद तक सौचना सही है क्योंकि पिछले कुछ दिनों पहले चिपा इत्यादि का मार्केट जरूर बठा था परन्तु अब लोग अपने बच्चों को इन सब वस्तुओं को खाने के लिए प्रोत्साहित नहीं करते है। उनलोंगो को लिए विकल्प नो रूप में इस उत्पाद को उपयोग में लागा जा सकता है।

 मुख्य रूप से गो मध्यम वर्गीय परिवार के लिए पीक केस में दिया जा सकता है। इसके अतिRAT EARTई लास मिली की बात करें तो जन लोग साईट से बाहर जाते है तब 3 पर के ने की गार आती है। मैं आपको एक उदाहरण दून (सचिन सत्ता को लेकर बैंकॉक गये अभी सिंगापुर जा रहे हैं। 

बैंकॉक में क्या हुआ मान इंडियन से लेीज़ आ शी। माँ के सामने थे। मैं लोग शाकाहारी थे। जो लोग माँसाहारी है उनके लिए कुछ न कुछ खाने को मिल जाता है। परन्तु जो लोग शाकाहारी होते है उनके पास लाने के लिए कोई अच्छा विकल्प नहीं होता है। नाग मैंने उन लोगों को साल का अन्या दिया तो उन्होंने अन्त में जाकर मुझे बोला


आपने हमारी भूख से जान बचा ली।


मुख्य बात एक बार आपने उत्पाय के बारे में सोचा, सर्वे किया, एक लोकल इकोसिस्टम तैयार करने की कोशिश में है। इसके पश्चात् मुख्य बात बाजार की आती है, मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि आपने किस सेंगमेन्ट को टारगेट किया?


जो मी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग है मेरा मतलब तिफ बुजुर्ग से नहीं है बुजुर्ग भी है, और हमारी आपकी उम्र के लोग जो कि काफी पर्यटन करते है जो लोग प्रत्येक दिन ऑफिस जाते है बच्चे भी स्वास्थ्य के प्रति सजग है। सोचने की बात है जो लोग कार्बोनेटेट निका पिया करते थे अब यो लोग हेल्दी फूड की तरफ शिफ्ट हो रहे है। ये लोग अब सोचते है कि हम उन चीजों को क्यों चमोग में व्या ताए जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। 

जब उनको एक अा हल्दी खाने का विकल्प मिलेगा जो कि जिसका उपयोग तुरंत किया जा सकता है तो उनको क्यों उपयोग नहीं करेंगे। यदि आप एक या दो गलातत सू पीसे हैं तो आपकी पूरी मूर पत्म हो जायेगी। ये बहुत ही पोष्टिक फूड है इसलिए इत्तको सुपर फूटा जाता है।

 तो इस प्रकार हम बहुत सारे विकल्प दे रहे है। आप एक स्टार्टअप है। यदि मैं, अगले साल की आपसे बात कर तो आप इस व्यवसाय को कहाँ ले जाना चाहेंगे?


शुरुआत तो पर से हुई. टीम बनी, लोगों ने पैसा लगागा और हमने गुरुवात की। अप्रैल, 2016 से अप्रैल, 2019 तक एक साल पूरा ONAL 4 हमारे पास बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन का ५ हैं। अईए- मारी धुत मदद कर रहा है HTE Bी Eeka लिए बहुत ही उत्कृष्ट भूमिका निभा रहा है।

 बी-आई-ए- के गदय से इन इंडियन एन्जल नेटवर्क का लिंक मिला। हमारे परामर्शदाता है हरि सर उन्होंने इसमें इन्वेस्टमेंट किया। जिस प्रकार आपको मैंने सबूज को टेस्ट कराया उसी प्रकार उन्हें एक ग्लास स पिलाया था।


तत्काल उन्होने कहा कि सचिन आपको किस मदद की आपसाता है। यदि प्रोम में गुणवत्ता है और आप निष्ठा को साय यो वाम करते हैं तो आपको लोग अपने आम मिल जागेंगे। कृषि में एक मुख्य समस्या है कि उत्पादों का सती दाम मारे किसानों को नहीं मिल पाता है। यदि में मामला कि सलूज भी कृषि का एक उत्पाय है। इस प्रायः साग में एक लाभकारी जाम तो बना पाते है मगर उनको नकेल करने समस्या होती है। 

इसके बारे में आप क्या सोचते है मेरा मानना है कि कई बार लोग टीम बनाकर काम नहीं करते है। आपले आप आगे नहीं बढ़ साते है। यदि आपवर्ग अयोगले काम करना है तो बेहतर होगा कि आम एक दुकान खोल ले। गदि आपको बड़ा काम करना है तो आपको टीम की आवश्यकता होगी।

 अन्त गें गें आगरों एक-दो रायाल और करना चाहता हूँ कि मेरा ऐसा नानना है कि इतिहास में सबसे ज्यादा जब कभी स्टार्टअप उद्यमिता की बात हुई है तो यो मिछले कुरा सालों में हुई है या यह कहूँ कि पिछले पांच सालों में तो यही सही होगा। यह स्टार्टअप समिता आदि शब्द प्रचलन में ही आपके जैसे जो स्टार्टअप कार्य कर रहे है उनके लिए इकोसिस्टम में सुधार हुआ है? आप विश्यास नहीं करेंगे कि स्टार्टजप के लिए डी-आई-पी-पी. रजिस्ट्रेशन कराना होता है। 

भारत सरकार और बिहार सरकार में इन सब चीजों को इतना आसान बना दिया है। मैंने डी आई.पी.के लिए अप्लाई किया और 24 घंटे के अंदर साटिक्रिकेट मुझे प्राप्त हो गया। एक्यापोट लाईसेंस के लिए आवेदन किया। चन्द घंटों में सार्टिफिकेट प्राप्त हो गया। इससे अच्छा समय स्टार्टअप के लिए क्या हो सकता है। आज इकोसिस्टम अठा है. सरकार प्रोत्साहन दे २ही है। स प में नून होना माही प क अन्य 5पाद कि आप की नज के सामने है उसकी सम क १५ में परिवर्तित कर सकते है। 

हमलोग अधपन से बहुत सारी वस्तुओं का सेवन कर रहे है। हमारे प्रदेश की संस्कृति बहुत ही रागूुद् है। उसको लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है। अनिम त्तवाल एक तफल उद्यमी के पीछे उसकी फिलीस्की होती है। सचिन की फिलॉसफी दूतरे फरी भिन्न हैं? प्रत्येक स्टार्टअप का एक कार थीम होता है। 

मेरी कमानी के बारे में कहना चाहूंगा कि मेरी थीम इनोवेशन है यदि में आपको यही सतू आधा किला के पैकेट में लेता तो आज यह बाल-बात नहीं हो रही होती। मेरा मानना है कि जब-तक कि आप अपने प्रोडट सा आइडिया को इनों मेटिव नहीं मनाएंगे या लोगों की किसी समस्या को नहीं सुलाएँमें, सा यूनिका नहीं करेंगे, जब तक कॉपी करें ताकि संभव नहीं है।

 * तक कि आध सही समाधान नहीं निकालते है तब तक निरन्तर प्रयास करते लेगे । मात करने के लिए तविन जी धन्यणद । मेरा नानना है कि हमारा देश बदल रहा है और मेरा कृषि बदल रहा है। इन्ही सब बातों के साथ आपका


धन्यवाद एवं शुभकामनाएँ।


सचिन जी कहानी से हम क्या सीख सकते है...


• पहला, जो लोग ट्रेन या वायुयान में सपार करते है उनको लिए बड़ी कम मात्रा में हेल्दी फूड की उपलब्धता है। सचिन जी सलूज को एक हेल्दी फूड के रूप में लेवार आये।


• दूसरा, तुरुआती दिनों में जितने भी सोकहोल्डर है उनके साथ आपको रिलेशनशिप स्थापित करना पड़ता है या विश्वास स्थापित


करना पड़ता है जो कि काफी महत्वपूर्ण है।


• जय आप अपना उत्पाय बनाएँ तो आप पूर्ण रूप से सष्ट हो कि आप किसके लिए उत्पाद बनाने जा रहे है। क्या यह प्राइम प्रोडक्ट है या मिडल क्लास फैमिली के लिए हैं या सनी के लिए हैं। यह आम यो पूर्ण रूप से स्पष्ट होना चाहिए।


• उन्होंने कहा कि शुरुआती दिनों में एक साल आप के लिए अफका परामर्शदाता होना चाहिए। यदि आपको एक अशा परामर्शदाता मिलता है तो आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा।


• उन्होंने एका गदत की जाली हात गटी, जो आपके लिए खुशखबरी है। बीरे-धीरे विहार जैसी जगा में भी ठीर दूसरे प्रदेशों में सिम में सवार हो हैं।


• उन्होंने एक बात कही कि विजनेर को रफेल करना है बहुत ऊपर ले जाना है बहुत बड़ा बनाना है तो आपको एक टीग के साथ काग करना पड़ेगा। यदि आप अकेले करेंगे तो आपका विजनेरा बहुत बड़ा नहीं होगा।


धन्यवाद।